गुरुवार, 23 मार्च 2017

सिनेमा में फिल्म एडिटिंग का महत्त्व

फिल्म एडिटिंग बहुत बड़ी भूमिका रखता है सिनेमा के लिए. अगर फिल्म की एडिटिंग न हो तो आप अच्छी फिल्म नहीं बना सकते, सिर्फ कैमरे का फुटेज ही देख सकते हो
एडिटिंग का मतलब जोड़ना, आप फिल्म में एक क्लिप को दूसरी क्लिप से जोड़ते हो उसको बोलते है एडिटिंग, जब एक फिल्म बनती है तो उसको कही दिन शूट किया जाता है, एक दिन में कम से कम २ घंटे का शूट होता है और फिल्म इंडस्ट्री में फिल्म बनाने वाले २० दिन से लेकर ५०  दिन तक का फिल्म शूट करने का प्लान बनाते है, बहुत से फिल्ममेकर १५० दिन का शूट करते है, अब आप सोचो एडिटर के पास कितने घंटे का शूटिंग आता होगा, और फिल्म बनानी है सिर्फ २ या ३ घंटे की, फिल्म एडिटिंग एक टेक्निकल पार्ट है सिनेमा के लिए, आप एक फिल्म में प्रोडक्शन लोगो,  उसके बाद स्टार्टिंग टाइटल, उसके बाद फिल्म की कहानी शुरू होती है, और बीच में ineterval भी होता है, फिर उसके बाद फिल्म का दूसरा यानि बची हुई कहानी शुरू होती है फिर जब फिल्म समाप्त होती है उसके पहले एन्ड टाइटल डाले जाते है, जिन लोगोने फिल्म में काम किया है उन सबके नाम लिखे जाते है, वो सब काम एडिटिंग में होते है  और आप जो सिनेमा में आवाज सुनते हो, उस आवाज को  साउंड स्टूडियो में पहले बनाते है जब साउंड का सारा काम हो जाता है तो एडिटिंग में उसको पिक्चर के साथ जोड़ा जाता है यानी फाइनल मास्टर एडिटर के हाथ से निकलता है
कैमरामैन की शूटिंग, साउंड स्टूडियो से सांग, डायलॉग, और बैकग्राउंड  यानि टोटल साउंड मिक्सिंग ट्रैक, सेंसर बोर्ड सर्टिफिकेट, सब एडिटिंग में आते है, और वही से फिल्म का फाइनल मास्टर निकलता है
एक अच्छी फिल्म बनाने में एडिटर की बहुत बड़ी भूमिका होती

STEENBACK FILM EDITING


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